आरटीओ अफसरों की डायरियों में छिपा है करोड़ों का अर्थशास्त्र
एसटीएफ द्वारा परिवहन घोटाला का खुलासा और गिरोह के पास से डायरी और रजिस्टरों की बरामदगी से महकमे में हड़कंप मचा है। इसी के साथ यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि बरामद रजिस्टर और डायरियों का तालमेल आरटीओ अफसरों और बाबुओं की डायरियों से है जिनमें करोड़ा का अर्थशास्त्र छिपा है। पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि आरोपी अफसरों की डायरियों के पन्ने खुलेंगे तो परिवहन घोटाले से होने वाली अकूत काली कमाई का खुलासा हो जाएगा।
सोनौली से लेकर सोनभद्र तक ट्रकों को ओवरलोड चलवाने वाले रैकेट के सरगना होटल संचालक समेत 6 सदस्यों को एसटीएफ गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस रैकेट के तार एक-दो नहीं बल्कि 15 से अधिक जिलों में जुड़े हुए हैं। रैकेट के सदस्यों का इन जिलों के आरटीएफ अफसरों और बाबुओं से सीधा सम्पर्क रहा है। चर्चा है कि रैकेट का आरटीओ अफसरों और बाबुओं से हिसाब-किताब हफ्ते-हफ्ते होता रहता था।
पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि उनके पास से बरामद रजिस्टर और डायरी में दर्ज आंकड़े इशारा करते हैं कि इनका हिसाब-किताब रखने वाले अफसरों और बाबुओं ने भी डायरी बना रखी है। किस महीने में रैकेट को कितनी रकम देनी है और कितनी रकम उनके द्वारा पहुंचा दी गई है, इसका हिसाब-किताब रखने के लिए डायरी मेंटेन होती है। कहा जा रहा है कि रैकेट के सदस्य बेइमानी के इस धंधे में इमानदारी से काम करते हैं। यही वजह है कि वे अफसरों और बाबुओं के चहेते बने रहते हैं।
पुलिस सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आरटीओ अफसरों और उनके साथ चलने वाले बाबुओं-सुरक्षाकर्मियों के पास पड़ी डायरियों में हजारों-लाखों नहीं बल्कि करोड़ों का अर्थशास्त्र छिपा हुआ है। जैसे-जैसे जांच टीम के हाथ आगे बढ़ेंगे, डायरियों के पन्ने खुलेंगे, स्थिति साफ होती जाएगी